Digital India Program का परिचय :
Digital India Program (डिजिटल इंडिया कार्यक्रम) को भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 में लॉन्च किया गया था, जिसके जुलाई 2025 तक 10 साल पूरे हो गए हैं। Digital India Program का उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलना है। जिसमें इसके प्रमुख लक्ष्य हैं-
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना
- ई गवर्नेंस सेवाओं को ऑनलाइन लाना
- डिजिटल साक्षरता और समावेश बढ़ाना
एक दशक में डिजिटल इंडिया प्रोग्राम ने जन आंदोलन का रूप ले लिया है। जुलाई 2025 तक, इस कार्यक्रम ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो कनेक्टिविटी, डिजिटल सेवाओं, और आर्थिक विकास में इसके प्रभाव को दर्शाता है। यह सर्वेक्षण विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
Digital India Program के तहत अब तक शुरू किए गए प्रमुख प्रोग्राम:
- 2015 में DigiLocker, e-Sign, e-Houspital, UMANG, BAS (Biometric Attendance System) को शुरू किया गया।
- 2016 में BHIM-UPI ऐप को लॉन्च किया गया।
- 2017 में 1 जुलाई को GST पोर्टल की शुरुआत की गई।
- 2018 में PMGDISHA ( ग्रामीण डिजिटल साक्षरता) को शुरू किया गया।
- 2020 में UMANG के इंटरनेशनल वर्शन को लॉन्च किया गया।
- 2022 में BHASHIN भाषा अनुवाद MISSION शुरू किया गया।
- 2025 में National Broadband Mission 2.0 शुरू किया गया जिसके तहत फाइबर का विस्तार और 5G का प्रसार किया गया जा रहा है।
Digital India Program का पिछले 10 वर्षों का विश्लेषण:
डिजिटल अर्थव्यवस्था (Digital Economy):
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2024-2025 (अनुमानित) के आंकड़ों के आधार पर भारत की कुल GDP में 13.42 प्रतिशत का योगदान दिया है। जो वित्त वर्ष 2022-23 में 11.74 प्रतिशत थी ।
- लगभग 31.64 लाख करोड़ रुपए (~ 420 बिलियन डॉलर) की GDP डिजिटल गतिविधियों से जुड़ी हुई थी।
- भारत में डिजिटल इकोनामिक वृद्धि दर अभी भी कुल GDP से लगभग दोगुणा तेज है।
इंटरनेट और कनेक्टिविटी:
- जनवरी 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार इंटरनेट उपयोगकर्ता 806 मिलियन हैं, जो भारत की कुल आबादी का 55.3 प्रतिशत है। अर्थात भारत की 55.3 प्रतिशत आबादी ऑनलाइन है।
- इसमें मोबाइल कनेक्शन की बात करें तो 1.12 बिलियन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल मोबाइल कनेक्शन के माध्यम से करते हैं जो भारत की कुल आबादी का लगभग 76.6 प्रतिशत है। इसमें 92.3% ब्रॉडबैंड सक्षम हैं।
- जनवरी 2025 में National Broadband Mission 2.0 शुरू किया गया है। इस मिशन का लक्ष्य भारत के 2.7 लाख गांवों को 2030 तक ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ना और 100 Mbps या उससे अधिक फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड प्रदान करना है।
- जून 2025 में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने एलन मस्क की स्टारलिंक कंपनी को GMPCS लाइसेंस प्रदान किया है। जिससे यह ब्रॉडबैंड ऑपरेशन के लिए आधिकारिक रूप से सक्षम हो गया । इससे इंटरनेट और ब्रॉडबैंड कनेक्शन में तेजी आएगी।
- 9 जुलाई 2025 को स्पेस रेगुलेटरी IN - SPACe ने Starlink को Gen1 LEO कांस्टेलेशन के लिए 5साल की अनुमति दी है जो 7 जुलाई 2030 तक मान्य है।
भारत सरकार का UPI - डिजिटलीकरण की धुरी:
- मई 2025 में लगभग 18.68 बिलियन ट्रांजैक्शन UPI के माध्यम से हुआ है जिसका कुल मूल्य 25.14 लाख करोड़ रुपए है। (~293 बिलियन डॉलर)।
- वार्षिक वित्त वर्ष 2024 - 25 में 185.8 बिलियन ट्रांजैक्शन UPI के माध्यम से हुआ है जिसका कुल मूल्य 261 लाख करोड रुपए है। यह 41% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है।
- भारतीय डिजिटल ट्रांजेक्शन में UPI की हिस्सेदारी 83.7% है जबकि वैश्विक रियलटइम भुगतान में भारत का योगदान लगभग 48 से 49% तक है।
- मई 2025 तक सक्रिय UPI उपयोगकर्ता 500 मिलियन (50 करोड़) हो गए हैं।
- 555 मिलियन लोग नियमित यूपीआई के माध्यम से सालाना लगभग 21 लाख करोड़ रुपए (255 बिलियन डॉलर) का डिजिटल भुगतानकरते हैं ।
- 85.5 प्रतिशत घरों में कम से कम एक स्मार्टफोन है।
ई - गवर्नेंस और डिजिटल सेवाएं:
- आधाकार्ड : अप्रैल 2025 तक 142 करोड़ आधार कार्ड बने हैं।
- DigiLocker: जून 2025 तक 53.9 करोड़ उपयोगकर्ता हुए हैं।
- UMANG App: जून 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार 8.34 करोड़ रजिस्ट्रेशन और 597 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए हैं। इस ऐप पर 2101 सरकारी सेवाएं 23 भाषाओं में उपलब्ध हैं।
- DBT (Direct Benefit Transfer): मई 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार 44 लाख करोड रुपए का भगतान किया गया है। राशकार्ड और एलपीजी कनेक्शन को हटाकर 3.48 लाख करोड रुपए की बचत हुई है।
- 7 मार्च 2024 से India AI Mission शुरू किया है ।
Digital India के मार्ग में अभी भी कुछ चुनौतियां हैं
- बढ़ते डेटा ब्रेक व गोपनीयता जैसी साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों बनी हुई हैं।
- भारत के ग्रामीण दूर दराज के क्षेत्र में इंटरनेट पहुंच में अन्तर की समस्या अभी भी है।
निष्कर्ष:
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम ने 2015 से 2025 तक सिर्फ योजना ही नहीं बदलीं, बल्कि देश की डिजिटल नींव भी बदल दी। यह न केवल सरकारी सेवाओं को सुगम बनाता है, बल्कि ग्रामीण स्तर पर आर्थिक अवसर को भी सक्रिय करता है। भविष्य में यह AI,5G और डिजिटल पेमेंट की क्षमताओं के साथ और अधिक सशक्त और अग्रणी बनता दिख रहा है।